Sunday, October 2, 2016

तेरे बगैर नींद आये तो

रस्मे उल्फत ज़रा निभाए तो
हमें आवाज़ दे बुलाये तो।

ख्वाब देखेंगे रात भर तेरे
तेरे बगैर नींद आये तो।

रियाया साथ में खड़ी होगी
सियासत हौसला दिखाये तो।


एक डिग्री है वो बी ए की बस
कभी कहीं पे काम आये तो


हथेलियों में चाँद पी लेंगे
वक़्त ये मोजिज़ा दिखाये तो।

दवाई नींद की ही लेता है
कभी हमें भी आज़माये तो।

थकन उतर ही जायेगी मेरी
उँगलियाँ पीठ पे फिराए तो।

कई जुगनू हैं मेरी मुट्ठी में
चराग, ये हवा बुझाये तो

अभी मधुमास बाकी है

बदन में है अभी हरकत, ज़रा सी सांस बाकी है।
भरो फिर से मेरा प्याला, अभी तो प्यास बाकी है।।

अगन है उस दरस में तो तपन है इस छुअन में भी।
चलो रस प्रीत का पी लें, अभी मधुमास बाकी है।।

बनूँगा मैं कन्हैया तुम भी राधा रूप धर लेना।
मेरी बन्सी तेरी पायल वो पावन रास बाकी है।

नहीं बरसीं जो सावन में तो भादों में बरस लेंगीं।
दिलों में हैं उमंगें और नयन में आस बाकी है।

तेरे होठों ने मेरे हाथ को चूमा था हौले से।
ज़हन में उस छुअन का भी अभी एहसास बाकी है।

चतुष्पदी

हमें भी साथ तुम्हारा ही रास आता है।
तुम्हें भी बीच में अपने न कुछ सुहाता है।
मुहब्बतों के ये पल भी हसीन हैं कितने।।
हमारे साथ साथ चाँद मुस्कुराता है।
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छतों पे रात भर ये चांदनी टहलती थी।
महक गुलाब की ही चार सूं महकती थी।
अजीब सा कोई जूनून था फ़ज़ाओं में।
मुहब्बतों की यहाँ इक नदी उफनती थी।
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समय के साथ इश्क़ का रिवाज़ बदला है।
बड़े दिनों से मुहब्बत ने साज़ बदला है।
वही हो तुम भी और मैं भी अभी तक हूँ वही।
तो क्या हुआ की वक़्त का मिजाज़ बदला है।