Wednesday, November 26, 2014

कुछ यूँ ही . . . . .

हाँ ज़िन्दगी के लिए हमनफ़स ज़रूरी है,
औ मुहब्बत के लिए कुछ हवस ज़रूरी है,
जब कभी फासले बढ़े तो समझ में आया,
तेज़ बारिश के लिए क्यों उमस ज़रूरी है।