ये दिल क्या चाहता है,
उसे सब कुछ पता है.
मैं कस के बांधता हूँ,
वो गांठें खोलता है.
ख़ता तेरी भुला दी,
मेरी बस ये ख़ता है.
सुनारों की तरह वो,
मुहब्बत तोलता है.
कभी होता है पानी,
कभी खूं खौलता है.
तेरा एहसास घर की,
फिजां में डोलता है.
मिला है चाँद को जो,
वही तुझको अता है.
उसे सब कुछ पता है.
मैं कस के बांधता हूँ,
वो गांठें खोलता है.
ख़ता तेरी भुला दी,
मेरी बस ये ख़ता है.
सुनारों की तरह वो,
मुहब्बत तोलता है.
कभी होता है पानी,
कभी खूं खौलता है.
तेरा एहसास घर की,
फिजां में डोलता है.
मिला है चाँद को जो,
वही तुझको अता है.