सच तो ये है बड़ा बाशऊर रहता है,
जब वो रात को नशे में चूर रहता है.
जब वो रात को नशे में चूर रहता है.
मिरे महबूब कि अदा भी चाँद जैसी है,
हद-ऐ-निगाह में रह कर भी दूर रहता है.
हद-ऐ-निगाह में रह कर भी दूर रहता है.
बादलों पर भी ये कैसा फितूर रहता है.
अभी तलक भी मुहब्बत जवान है दिल में,
अभी भी इश्क का थोडा सुरूर रहता है.
कहाँ किताब मदरसों कि ज़रुरत है यहाँ,
जब हर गाँव में कबीर-सूर रहता है.