जगेगा रात भर कोई, कोई जी भर के सो लेगा,
वही सूरज उगेगा फिर वही अखबार निकलेगा,
मेरा दावा है बदलेगी नहीं दुनिया ज़रा सी भी,
महज़ तारीख लिखने का ज़रा अंदाज़ बदलेगा.
वही सूरज उगेगा फिर वही अखबार निकलेगा,
मेरा दावा है बदलेगी नहीं दुनिया ज़रा सी भी,
महज़ तारीख लिखने का ज़रा अंदाज़ बदलेगा.